शुक्रवार, 9 मार्च 2012

क्या भारत के मूलनिवासी वास्तव मे गुलाम है ?

किसी भी व्यक्ति और समूह को गुलाम कब कहा जाता है यह वास्तव मे महत्व
पुर्ण सवाल है ।कोई भी व्यक्ति या समूह जब पराजित हो जाता है, तब विजेता
लोग उसको गुलाम बना देते है ।मगर पराजित लोग इसका अपने ताकत के अनुरूप
विरोध करते है ।प्रारंभ मे यह होता है ,मगर धीरे धीरे जो लोग पराजित होते
है वह लोग अपना इतिहास और अपने तौर तरीके भूल जाते है ।इस तरह सेउनकी
पहचान समाप्त हो जाती है ।जैसे ही, उनकी पहचान समाप्त हो जाती हैऔर अपना
इतिहास और उसका गौरव भूल जाते है,तब इसका अहसास भी समाप्त हो जाता है
।जब गुलामो की अपनी पहचान समाप्तहो जाती है ,तब विजयी लोगो का अनुकरण और
अनुसरण पराजित लोग शुरू कर देते है ।जब यह अनुकरण और अनुसरण शुरू हो जाता
है तो पराजित लोगो का मूल अस्तित्व समाप्त हो जाता है । अपना मूल
अस्तित्व खोकर विजेताओ की परंपराओ का अनुसरण करके अपना अस्तित्व और पहचान
मिटाना शुरू कर देते है ।यही पर गुलामो की गुलामी का अहसास समाप्त हो
जाता है ।जब गुलाम को गुलामी का एहसास होना बंद हो जाता है उसी वक्त कोई
भी जाती या समूह वास्तव मे गुलाम बन जाता है । ऊपर उल्लेखित धारणा से अगर
देखा जाए तो यहा का मूलनिवासी वास्तव मे गुलाम है।भारत के अलावा दूसरे
देशो मे भी गुलाम बनाए गए है, मगर गुलामो की शिक्षा के अधिकारो से वंचित
नही किया गया । लेकिन भारत मे शिक्षा के अधिकारो से मूलनिवासी गुलामो को
वंचित कर दिया गया ।जिससे भारत का मूलनिवासी केवल गुलाम नही रहाबल्कि
पक्का गुलाम हुआ । हम इसे पक्का गुलाम इसलिए कहते है क्यो की मूलनिवासी
गुलाम लोग अपने गुलामी का गर्व और गौरव करते है ।गुलामी मे सुख और आनंद
का अनुभव करते है । विजेताओ की परंपराओ का यानी युरेशियन ब्रामणो की
परंपरा, धर्म, संस्कार, समाज व्यवस्था का केवल अनुकरण और अनुसरण नही करते
बल्कि गर्व और गौरव करते है ।युरेशियन ब्रामणो ने दिया हूआ यह नारा "गर्व
से कहो हम हिंदू है ।" इसका हम मूलनिवासी गर्व और गौरव से प्रतिध्वनित
करते है ।यही इस बात का सबूत है की हम गुलामी का गर्व और गौरव करते है
।इस स्थिति से मूलनिवासीयो को मुक्त करने की आवश्यकता है । मूलनिवासी यो
को किसने गुलाम बनाया यह बात सर्व विदित है की वर्ण व्यवस्था जाती
व्यवस्था और अस्पृश्याता युरेशियन ब्रामणो के बड़े हथियार है । इन हथियारो
का प्रयोग और उपयोग करके मूलनिवासीयो को पराजित किया गया और पराजित करने
के लिए कई साजिशे हथकंडे किए गए ।यह सब करने वाले लोग युरेशियन ब्रामण थे
।इस तरह से मूलनिवासीयो को गुलाम बनाने वाले लोग युरेशियन ब्रामण है ।जिन
लोगो के पास विचारधारा नही होती,जो लोग अपने दुश्मनो को ठीक ठीक नही
पहचानते ,अपने दोस्तो को ठीक नही पहचानते और जिनको इतिहास का सम्यक आकलन
नही होता, जिनके पास व्यवस्था परीवर्तण का शास्त्र और शक्ति नही होती और
उस उस शक्ति का प्रयोग और उपयोग करने का ज्ञान और कुशलता नही होती वे लोग
जागरूक नही होते । इस तरह तरह से जो लोग जागरूक होते है वे अज्ञानी और
अजागरुक लोगो को अपनी जागिर बना लेते है अपनी संपत्ति मानना शुरूकरते है
।युरेशियन ब्रामणो ने यही किया और कर रहे है ।इसलिए युरेशियन ब्रामण
मूलनिवासियो के शत्रु है ।

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